चौसठ योगिनी का रहस्य

 मध्य प्रदेश के मुरैना शहर से 30 km दूर, और ग्वालियर शहर से 40 km दूर एक गांव मितावली में 11 सदी का एक प्राचीन मंदिर स्थित है , जिसको हम चौसठ योगिनी मंदिर के नाम से जानते है। स्थानीय लोग इसको महादेव मंदिर के नाम से भी जानते हैं । जो की एक रहस्यमई मंदिर हे जो तंत्र मंत्र विद्या का केंद्र था ।एक अभिलेख के अनुसार इस मंदिर का निर्माण कच्छप घात वंश के राजा देवपाल ने 11 सदी में करवाया था ।

यह मंदिर एक दूर दराज स्थित 100 फीट ( 30mtr) ऊंची पहाड़ी पर बनाया गया हे, जिसको चढ़ने के लिए पत्थरों को काट कर 100 सीढ़ियों को बनाया गया हे । मंदिर की बाहर की दीवारों पर हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियों को देखा जा सकता है ,जो की अन्य मंदिरों से भिन्न ही क्योंकि वहां की दीवार प्लेन हे। मंदिर के मध्य में गर्भ गृह हे जिसमे एक शिवलिंग स्थापित हे और उसके चारो और छोटे छोटे 64 कमरे बने हे जिनमे देवियों की मूर्ति थी , जो की अब नही हे ।

वरुण पुराण के अनुसार ये मंदिर त्रिमूर्ति ( मितावाली, पड़ावली,बटेश्वर) का एक अंग है, जो की ज्योतिष , गणित , और हिंदू धर्म की शिक्षा का प्रमुख केंद्र था । यहां पर पुरोहित बनने की शिक्षा दी जाती थी जो प्राचीन और मध्य काल भारत की राजव्यवस्था का प्रमुख पद हुआ करता था । 

स्थानीय लोगो के अनुसार यहां पर हिंदू देवी दुर्गा ने एक राक्षस से युद्ध किया था इस युद्ध के दौरान देवी दुर्गा ने 64 रूप ( कला) धारण किए थे , जिनको मूर्ति के रूप में इस मंदिर में दर्शाया गया हे।

पर मंदिर की वास्तुकला को देख कर यह कहा जा सकता है की यह एक शिव मंदिर है। इसका मंडप खुला हुआ है , ताकि सभी देवियां मुक्त आकाश में भ्रमण कर सके , इस तरह के भारत में कुल 11 मंदिर ही जो की मध्यप्रदेश में सबसे अधिक और ओडिशा , छत्तीसगढ़ में स्थित हैं।

मंदिर में वर्षा के जल को संरक्षित करने की भी एक अद्भुत कला को वास्तु में सामिल किया गया हे, जहा पर एक मुख्य भूमिगत टैंक में संपूर्ण मंदिर का जल विशेष प्रकार की नालियों द्वारा संग्रहित किया जाता है,विदित है की मंदिर एक उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र में स्थित ही जहां जल का विशेष महत्व होता हे।

कुछ लोगो के अनुसार संसद भवन के निर्माण की रूपरेखा की इंस्पिरेशन इसी मंदिर से ली गई है , कहा जाता है की वास्तुकार एडवर्ड लुटियंस ने संसद भवन की रूपरेखा तैयार करने से पहले इस मंदिर को विजिट किया था । इसी पर UPSC द्वारा वर्ष 2022 में प्री परीक्षा में एक सवाल भी पूछा जा चुका है ।

जैसा कि ये एक तंत्र मंत्र विद्या का मंदिर माना जाता है इस कारण यह के पुजारी लोग किसी को रात में रुकने की आज्ञा नहीं देते हैं, माना जाता है की तांत्रिक लोग यहां पर तपस्या करके सिद्धि हासिल करते हे। अब इस बात में कितनी सच्चाई है , ये कोई नही जानता ।

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा वित्त पोषित संस्था द्वारा इसकी देख भाल की जाती है और पर्यटन विभाग द्वारा इसको प्रचारित किया जाता है । मुरैना शहर में घूमने के लिए ये एक बहुत अच्छी जगह हे जहां पर जाने से मन को असीम शांति प्राप्त होती हे। 

मंदिर की पहाड़ी के चारो और बासमती चावल के खेत हे , जब हवा उनसे टकरा कर पहाड़ी पर आती है तो पूरा मंदिर सुगंधित हो जाता है , और खुशबू भी ऐसी की जो कहीं और मिलना नामुमकिन है।मंदिर की प्राकृतिक , वास्तुकला और धार्मिक स्थल बहुत ही सुंदर और मनमोहक है । जहां पर जाते ही पॉजिटिव ऊर्जा का संचार खुद ब खुद हो जाता है।




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